गुरुवार, 5 जून 2008

आज का विचार

‘’जो हानि हो चुकी है उसके लिये शोक करना, अधिक हानि को निमंत्रित करना है।‘’
--शेक्‍सपीयर--

मंगलवार, 3 जून 2008

आज का विचार

‘’स्‍वभाव कच्‍ची मिट्टी की भांति होता है जिसकी कोई शक्‍ल नहीं होती । इसे आकृति देने की आवश्‍यकता होती है ।‘’
--संतवाणी--

मंगलवार, 8 अप्रैल 2008

सेवा

''सेवा का फूल कभी व्‍यर्थ नहीं जाता''
सुभाषित

रविवार, 9 मार्च 2008

''भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है''
--महात्‍मा गांधी

शनिवार, 8 मार्च 2008

कुशलता का परिचय

''दूसरों के लिये जो कार्य कठिन है, उसे करना कुशलता है । औरों के लिये जो काम असंभव हो उसे करना प्रतिभा है ।''
--एमिएल

बुधवार, 5 मार्च 2008

मेहनत का फल मीठा

''पूर्ण त्‍याग और ईश्‍वर में पूर्ण विश्‍वास ही हर चमत्‍कार का रहस्‍य है ''
स्‍वामी राकृष्‍ण परमहंस-

मंगलवार, 4 मार्च 2008

सत्‍य ही ईश्‍वर है ।

" खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। इसीलिए, जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल।

सोमवार, 3 मार्च 2008

गीतासार

क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल अौर किसी का था, परसों किसी अौर का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, अाकाश से बना है अौर इसी में मिल जायेगा। परन्तु अात्मा स्थिर है - फिर तुम क्या हो?
तुम अपने अापको भगवान के अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।
जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान के अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।

शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

तीन चीजें

तीन चीजें अगर चली गयी तो कभी वापस नही आती
समय,शब्द और अवसर
तीन चीजें इन्सान कभी नही खो सकता
शान्ति,आशा और ईमानदारी
तीन चीजें जो सबसे अमूल्य है
प्यार,आत्मविश्वास और सच्चा मित्र
तीन चीजे जो कभी निश्चित नही होती
सपनें, सफलता और भाग्य
तीन चीजें, जो जीवन को संवारती है
कड़ी मेहनत,निष्ठा और त्याग
तीन चीजें किसी भी इन्सान को बरबाद कर सकती […]

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2008

कठिन परिश्रम

सफलता का मंत्र सिर्फ यही है कि वह घोर परिश्रम चाहती है ।
स्‍वामी रामतीर्थ

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2008

अंधों की नजर

आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। -चाणक्य